एमबी अस्पताल के कोरोना वार्ड में डूंगरपुर के 38 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव गजेंद्र (परिवर्तित नाम) और उसका 14 वर्षीय बेटा भर्ती है। दोनों के साथ मंगलवार को गजेंद्र के पिता की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। गजेंद्र ने भास्कर को अपनी आपबीती बताकर दूसरे लोगों को उनसे सबक लेने की गुजारिश की है।
गजेंद्र ने बताया कि एक-दूसरी जगह मूव करने पर हम कैसे बेवजह खुद ही नहीं, दूसरों को भी परेशानी में डाल देते हैं। मैं 25 मार्च को मेरे 14 साल के बेटे को बाइक पर इंदौर से डूंगरपुर की आसपुर तहसील स्थित अपने गांव पारड़ा सोलंकी पहुंचा। मैंने मेरे माता-पिता और बेटे ने दादा-दादी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
हम बाप-बेटे पूरी तरह स्वस्थ थे, लेकिन रात में बेटे की तबीयत खराब हो गई। उसे बुखार-खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी होने लगी तो मेरे 65 वर्षीय पिता उसे छाती से चिपका कर बैठ गए। बेटे के सबसे नजदीक उसके दादाजी रहे।
तब वे बिल्कुल स्वस्थ थे। देर रात मेडिकल रिस्पोंस टीम को सूचना दी। जो डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन सेंटर ले गई, जहां उपचार किया गया। मेरी और बेटे की इंदौर की हिस्ट्री पूछकर हम दोनों को वहीं आइसोलेट कर दिया गया।
दूसरे दिन जांच रिपोर्ट में हम दोनों कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसकी हमें सपने में भी कल्पना नहीं थी। हमें पता ही नहीं है कि हम इंदौर में किस कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के कारण संक्रमित हुए। इसके बाद वही हुआ जिसका हमें डर था - मेरे पिताजी भी कोरोना संक्रमित हो गए। अब हम तीनों एमबी अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती हैं। इंदौर में मेरा बड़ा बेटा और भाई व उसकी पत्नी को कोरोना संदिग्ध मानकर वहां एमवाय अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। उम्मीद है सब कुछ ठीक होगा।
गजेंद्र ने यह अपील की
मेरी सभी से यही गुजारिश है कि इस महामारी के तेजी से फैलते संक्रमण को रोकने के लिए जो जहां है, वहीं रुक जाए। अगर हम इंदौर में रुक जाते तो पिताजी संक्रमित नहीं होते। सभी लोग कमरों में बंद रहकर कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने में जुट जाएं। गनीमत है कि हम तीनों स्वस्थ हैं। तीनों में से किसी को भी न सांस लेने में तकलीफ है, न ही किसी भी तरह की घबराहट। हम तीनों ने ठान ली है कि हिम्मत और आरएनटी के चिकित्सकों के उपचार से इस कोरोना को हराकर ही जल्द घर लौटेंगे। कुछ लोग यह झूठ भी फैला रहे हैं कि मैं कोरोना वायरस का इलाज कराने एक भोपा के पास गया था। यह बिलकुल गलत है।